Wednesday, August 12, 2020

4 Line Hindi Shayari, 35 Best Hindi Shayari


Here you can find the Best Hindi Shayri of 2020 Below :

4 Line Hindi Shayari

ज़िक्र 
हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ,
दिनों की बात है महफ़िल की आबरू हम थे,
ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर,
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे।


ज़िंदगी
कितनी बुरी लगती हैं ज़िंदगी जब खुद को महसूस करते हैं, मरने 
के बाद मिलते हैं चार कंधे, और जीतेजी किसी एक के लिए तरसते हैं। 

चाहत
मजबूर मोहब्बत जता ना सके ज़ख्म कहते रहें किसीको बता ना सके ,चाहतो की हद से चाहा उसे सिर्फ अपना दिल निकाल कर उसे दिखा ना सके। 

यादें
वक़्त हे बदला और बदली सी कहानी है,
मेरे पास हसीन लम्हो की यादें पुरानी हैं , न लगाओ मेरे ज़ख्मो पे मरहूम
मेरे पास बस यही एक निशानी हैं।
झुठे हैं वो
झुठे हैं वो जो कहते हैं कि हम सब मिट्टी से बने हैं। मैं कई अपनों से वाकिफ हूं, जो पत्थर के बने हैं
नामोनिशान
समय बहा कर ले जाता है, नाम और निशान…… कोई “हम” में रह जाता है और कोई “अहम् “में

मोहब्बत
तेरे लिबास से मोहब्बत की है, तेरे एहसास से मोहब्बत की है, तू मेरे पास नहीं फिर भी, मैंने तेरी याद से मोहब्बत की है..!
महबूब
उम्र मत पूछो उनकी…. जो इश्क मै ड़ूबे रहते है…. वो हर वक्त जवां रहते है…. जो महबूब की आंखो में खोए रहते है
नादान बेवफा
वो बेवफा हमारा इम्तेहान क्या लेगी..... मिलेगी नज़रों से नज़रें तो अपनी नज़रें ज़ुका लेगी..... उसे मेरी कब्र पे दिया मत जलाने देना..... वो नादान हे यारो...अपना हाथ जला लेगी।

पहचान
थोड़ी सी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ , ये क्या कम हे की में अपनी पहचान बचा पाया हूँ? कुछ उम्मीदें ,कुछ सपने, कुछ हसीन यादें, जीने का बस में इतना ही सामान बचा पाया हूँ।
वक़्त
कुछ सीखा कर ये दौर भी गुज़र जायेगा ... फिर एकबार हर इंसान मुस्कुरायेगा... मायूस न हो इस बुरे वक़्त से दोस्तों कल " आज " और आज " कल " हो जायेगा


मुलाक़ात
तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ ज़िंदगी तेरी चाहत में सवार लूँ। मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इसतरह मेरी सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।

प्यार
किसी को चाहो तो इस अंदाज़ से चाहो,
कि वो तुम्हे मिले या ना मिले,
मगर उसे जब भी प्यार मिले,
तो तुम याद आओ…

मुद्दत
जिसे शिद्दत से चाहो,
वो मुद्दत से मिलता है।
बस मुद्दत से ही नहीं मिला कोई
शिद्दत से चाहने वाला। 

उम्मीद 
उसकी प्यारी मुस्कान होश उड़ा देती हैं,
उसकी आँखें हमें दुनिया भुला देती हैं
आएगी आज भी वो सपने मैं यारो,
बस यही उम्मीद हमें रोज़ सुला देती हैं

हर एक की सुनो
हर एक की सुनो और हर
एक से सीखो क्योकि
हर कोई सब कुछ नहीं जानता लेकिन हर एक कुछ न कुछ ज़रूर जानता हैं।

तूफ़ान 
दिल पे क्या गुज़री वो अनजान की जाने 
प्यार किसे कहते हे वो नादान क्या जाने 
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का 
कैसे बना था घोसला वो तूफ़ान  क्या जाने

आदत 
हमारे लिए उनके दिल में कभी चाहत ना थी,
किसी ख़ुशी में कभी कोई दावत ना थी,
मैंने दिल उनके कदमो में रख दिया,
पर उनको ज़मीन पर कभी देखने की आदत ना थी

 चोट
इस कदर ना हर बात यारों से पूछो , 
जो बात राज़ की हो ,इशारों से पूछो 
लहरों से खेलना तो समंदर का शौक है,
लगती है चोट कैसे... किनारो से पूछो 


मुस्कराहट
उदास होने के लिए उम्र पड़ी हैं, 
नज़र उठाओ सामने ज़िंदगी खड़ी हैं ,
अपनी हसीं को होठों से ना जाने देना, 
क्योकि हमारी मुस्कराहट के पीछे दुनिया पड़ी हैं

प्यार का असर 
कभी कभी ऐसा होता हैं, 
प्यार का असर देर से होता हैं 
आपको लगता है की हम 
आपके बारे में कुछ नहीं सोचते
पर हमारी हर एक बात में 
आपका ज़िक्र होता  हैं 

खूबियां बहोत हैं

खूबियां बहोत हैं मुजमे 
और ऐब तो बेशुमार हैं 
अब ढूंढ ने वाले  तू  सोच 
की तू किसका हक़दार  हैं.


लोग पूछते हैं
लोग पूछते हैं क्यूँ सुर्ख हे तुम्हारी आँखे
हस के कह देता हूँ रात सो न सका
 लाख चाहु मगर ये कह न सकू ,
रात रोने की हसरत थी पर रो ना सके। 


ज़रा जी के दिखाओ
ज़रा जी के दिखाओ बिना मोहब्बत के
तो पता चले ज़िंदगी क्या चीज़ हैं
प्यार तो सभी करते हैं
जिन्हे नहीं मिलता उनसे पूछो
तो पता चले ज़िंदगी क्या चीज़ हैं 


लम्हे
में लोगों से मुलाकातों के लम्हे याद रखता हूँ
में बातें भूल भी जाऊं तो लहज़े याद रखता हूँ, 
ज़रा सा हैट के चलता हूँ ज़माने की रिवायत से, 
जो सहारा देते हैं वो कंधे याद रक्त हूँ


भूल जाते हैं
अक्सर भूल भी जाते हैं हम तुजे
शाम की कॉफी में चीनी की तरह
फिर ज़िंदगी का  फीकापन
तुम्हारी याद दिलाता हैं 


उलझन
प्यार इश्क़ मोहोब्बत ,

उलझने तमाम क्या हैं?
ख़ामोशी का दौर चल रहा हैं,
बता शाम- -इंतज़ाम क्या हैं ?

वफ़ा
वफ़ा का दरियाँ कभी रुकता नहीं ,
मोहब्बत में प्रेमी कभी ज़ुकता नहीं 
किसी की खुशियों के खातिर चुप हैं
पर तू ये मत समझ के मुझे दुखता नहीं
 


कश्ती
हम कहा कभी किसी के असर में रहे
चुभते हैं  गर सभी की नज़र में रहे
हम की तूफ़ा पे कोई कसीदा (निंदा या प्रसंशा ) लिखे
बेहतर है कश्ती भंवर में रहे 


बारिश
मत पूछो की कितनी मोहब्बत हे तुमसे
बारिश की बुँदे भी अगर छु ले तुम्हे
तो हम बादलो से जलने लगते हैं 


इश्क़
जो तू मिले तो जन्नत गवारा हो मुझे
ना करू ख़्वाहीशें गैर की जो तेरा सहारा हो मुझे ,
तुजे नाम दिय हे हमने पाक इश्क़ का ,
कैसे फिर कह दू के इश्क़ दुबारा हो मुझे ?

एहसास
बेहद खूबसूरत एहसासो से
गुज़र रहा हे मेरा प्यार सावन में ,
उधर बरसात की जड़ी ,
इधर तेरी यादों की बहार 

ख्वाब
चाहत  ने  तेरी  मुझको  कुछ  इस  कदर घेरा हैं ,
दिन को हे तेरे चर्चे रातो में ख्वाब तेरे हैं,
तुम रहो जहा वही पे रहता हे दिल मेरा,
बस इक ख्याल तेरा क्या शाम क्या सवेरा 

हाल-इ-दिल
लगने दो  महफ़िल आज ,
शायरी की ज़ुबा करते हैं ,
तुम ग़ालिब की किताब उठाओ ,
हम हाल-इ-दिल बया करते हैं

वो रूठ कर बोले
वो रूठ कर बोले तुम्हे सारी शिकायत 
हमसे ही क्यों हैं?
हमने भी सर झुकाकर बोल दिया ,
हमे सारी उम्मीदें भी तो आप से ही हैं!

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