Dharmdarshan, Why Ganeshji Called Ekdantay
जैसे हनुमानजी,गणेशजी, नरसिंह देवता जो भगवान विष्णु के अवतार थे। .
आज हम गणेश जी के बारे में बात करने जा रहे है. गणेश जी को वैसे तो वक्रतुंड , लंबोदर, गणपति ,विनायक , एकदंताय आदि नामो से जाना जाता हैं।
पर क्या आपको पता हे गणेशजी को एकदंताय क्यों कहते हैं? इसके बारे में 2 अलग अलग कहनिया प्रचलित हैं जो इस प्रकार हैं।
महाभारत काव्य की रचना:
देवताओ ने महर्षि वेद व्यास से महाभारत काव्य की रचना करने की इच्छा प्रकट उन्होंने उसका स्विकार किया।
और ब्रम्हाजी से विनती की इस काम के लिए उन्हें परमज्ञानी व्यक्ति की आवश्यकता होगी तब ब्रह्माजी ने वेद व्यास को शिवजी के पास जाने को कहा।
वेद व्यासजी ने शिवजी के पास जाके पार्थना की तो शिवजी ने गणेशजी का सुझाव दिया परंतु शर्त रखी के वेद व्यासजी को महाकाव्य का वर्णन बिना रुके करना होगा।
वेद व्यासजीने शर्त का स्विकार किया और काव्य का वर्णन करने लगे गणेशजीने काव्य का लेकिन शुरू तो किया परंतु कलम उनका साथ नहीं दे रही थी।
तब गणेशजी ने अपने दांत को तोड़कर उससे लिखना प्रारंभ कर दीया।
परशुरामजी से युद्ध :
एक और कथा के अनुसार परशुराम क्षत्रियो का विनाश करने के पश्चात भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश जा पहुचते हैं।
उस समय भगवान शिव समाधी में लीन थे और किसीको भी अंदर प्रवेश न करने देने की सुचना गणेशजी को दी गई थी।
इसीलिए गणेशजी परशुराम को शिवजी से भेंट करने से रोकते हैं और दोनों में युद्ध होता हैं और गणेशजी सूंढ़ से परशुरामजी पर प्रहार करते हैं।
परशुराम मूर्छित हो जाते हैं परशुराम जब मूर्छा से जाग्रत होते हैं और क्रोधित होकर अपने परशु से गणेशजी पर प्रहार करते हैं। जिससे गणेश जी का दांत टूटकर गीर जाता हैं।
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