Kailasha Temple (Ellora Caves)
मॉर्डन इंजीनियरिंग में की ऐसी खूबसूरत ईमारत बनी हैं जो हमे आश्चर्यचकित करती हैं। मॉर्डन इंजीनियरिंग का सबसे उत्तम नमूना दुबई में स्थित बुर्ज खलीफा हैं।
लेकिन हमारे प्राचीन भारत (Ancient India) की एक इंजीनियरिंग वास्तु (Architectural) और निर्माण (Construction) की एक टेक्नोलॉजी ऐसी हे जिससे बुर्ज खलीफा जैसी ईमारत कुछ ही दिनों में बन सकती हैं।
महाराष्ट्र के मुंबई से 200 मील दूर औरंगाबाद में स्थित एलोरा की गुफाएं (Ellora caves) भारत के सबसे प्राचीन और अद्भुत स्मारकों में से एक हैं।
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Ellora caves , Aurangabad, Maharastra |
Kailasha Temple (Ellora Caves)
एलोरा में कुल 34 गुफाएं हैं जिसे पत्थर को काटकर बनाई गयी हैं। उनमे से ही एक हैं यह कैलासा मंदिर। इस मंदिर को भी अन्य गुफाओं की तरह चट्टान को उकेर (Engrave) कर बनाया गया हैं।
Ancient Temple, Kailasha Temple (Ellora Caves) |
इस मंदिर की ऊंचाई 100 फ़ीट हैं जो 3 मंज़िला इमारत से भी ज़्यादा हैं।
Cunstruction Of Kailasha Temple
सामान्य रूप से किसी भी मंदिर का निर्माण नीचे से ऊपर किया जाता हैं। दुनिया के कोई भी गुफा को देखा जाये जैसे की Karla Caves जो की पुणे के लोनावला में स्थित हैं। उसे बनाने के लिए बहार से अंदर की तरफ काटा गया हैं। जिसे Cut In Monolith कहते हैं।
Kailasha Temple (Ellora Caves) |
परंतु इस कैलाश मंदिर का निर्माण एक बड़ी चट्टान को ऊपर से नीचे की तरफ काट कर किया गया हैं। जिसे Cut Out Monolith कहते हैं। जो बहुत कठिन एवं जटिल कार्य हैं।
Mystery Of Cunstruction
शुरुआती सर्वे से माना गए हैं की इस मंदिर को पर्वत के पत्थर पर छैनी और हथोड़े की सहायता से बनाया गया हैं। इस मंदिर को बनाने में 18 वर्ष का समय लगा था।
वैज्ञानिको का मानना हैं की इन 18 वर्ष में मंदिर को बनाने के लिए 4 लाख टन पत्थरो को हटाया गया होगा।
वैज्ञानिक का मानना हैं की ये चमत्कार ही हो सकता हैं की 4 लाख टन पत्थरो को हटाने का ये कार्य सिर्फ 18 वर्षो में ही समाप्त कर लिया गया।
Kailasha Temple (Ellora Caves), Aurangabad, Maharastra |
अनुमान लगाया जाये के उस समय अगर मज़दूरों ने बिना रुके लगातार 12 घंटे 18 वर्षो तक काम किया होगा तब जा कर उन्होंने हर घंटे 5 टन पत्थर को हटाया होगा।
तब जा कर 18 वर्ष में ये कार्य संभव हुआ होगा। लेकिन यहाँ 760 A.D की बात हैं जब औज़ार के नाम पर केवल छैनी और हथोड़ा ही उपलब्ध था।
आज की टेक्नोलॉजी में भी यह कार्य संभव नहीं हैं। तो आज से हज़ारो साल पहले ये कैसे संभव हुआ होगा !
और इस 18 वर्ष के कार्यकाल में तो केवल पत्थर को काटा गया होगा परंतु मंदिर के दीवारों पर बनी मूर्तियां और मूर्तियो पर की गयी अद्भुत शिल्पकारी और मंदिर में बने भवन को बनाने में कितना समय लगा होगा?
तो उस समय की टेक्नोलॉजी के हिसाब से Ellora caves में बने इस मंदिर को बनने में 18 वर्ष नहीं पर 100 वर्ष लगने चाहिए थे।
तो यह एक आश्चर्य की बात हैं की केवल 18 वर्षो में आखिर ये संभव हुआ कैसे ?
Ancient Wapon “Bhaumastra”
वैदिक पुराण में एक अद्भुत अस्त्र का वर्णन हैं और वो अस्त्र हैं "भौमास्त्र" (The weapon could create tunnels deep into the earth and summon jewels) कहा जाता हैं की यह अस्त्र पत्थरो को हवा में परिवर्तित कर सकता हैं।
Ancient Wapon , Bhaumastra |
भौमास्त्र की रचना देवी भूमि (धरती माता) द्वारा की गयी थी। और भौमास्त्र गहरी खुदाई करने में टनल की रचना करने में और जमीं से जेवरात निकाल ने सक्षम था।
हम भगवान शिव को केवल विनाशक के रूप में ही जानते हैं। परंतु भगवान शिव में सर्जन करने की शक्तिया भी थी।
और जैसा की माना जाता हैं की यह मंदिर भगवान शिव के हिमालय स्थित कैलाश मंदिर का प्रतिरूप हैं।
तो संभव है की इस मंदिर की रचना स्वयं भगवान शिव ने भौमास्त्र का प्रयोग से की हो।
DR.Deepak Shimkhada (professor at the Claremont School of Theology and Chaffey College) ने एक दिलचस्प बात पर रौशनी डाली।
उन्होंने कहा की मंदिर को बनने में जो समय लगा वह अलग बात हैं। परंतु सोचनेवाली बात यह हैं की अगर पत्थर तोड़े गए थे और हटाए गए थे तो आखिर गए कहा?
इस तरह के पत्थर या मलबा कैलाशा मंदिर के दायरे में दूर दूर तक के इलाके में कही नहीं दखे यहाँ तक की आसपास की और कोई गुफाओ में भी नहीं दिखाई दिए तो वह पत्थर आखिर गए कहा?
Ancient Astrophysicist का कहना हैं की ये बात सच हैं की कई साल पहले भौमास्त्र का अस्तित्व था।
Ellora caves में बने इस कैलाशा मंदिर के निर्माण में भौमास्त्र इस्तेमाल भी हुआ था । न केवल मंदिर की रचना में परन्तु मंदिर के नीचे एक शहर की रचना में भी हुआ था ।
Underground City Kailasha Temple (Ellora Caves)
कैलाशा मंदिर कुछ विचित्र टनल की जाल से भरा हुआ हैं। यहाँ पानी के बहने के लिए खास अंडरग्राउंड प्रणाली हैं। माना जाता हैं की मंदिर में स्थित टनल एक Underground City तक जाती हैं।
जैसा की हम जानते हैं की शिवलिंग की पूजा में पानी चढ़ाया जाता हैं। पूजा के बाद ये पानी बाहर पेड़ पौधे तक पहुँचता हैं।
कैलाशा मंदिर में भी ऐसे असंख्य शिवलिंग हैं। तो यह संभावना हैं की मंदिर के नीचे स्थित टनल को पूजा के इस पानी को Underground City तक पहुंचाने के लिए बनाया गया हो।
Demolition of Kailasha Temple (Ellora Caves)
सन 1682 में उस समय के मुग़ल राजा औरंगज़ेब ने अपने 1000 सैनिको की एक टुकड़ी को इस मंदिर को पारी तरह ध्वस्त करने का आदेश दिया था।
यह 1000 सैनिको की टुकड़ी लगातार 3 वर्ष तक मंदिर को नुकसान पहुंचाने कार्य करती रही परंतु पूरी तरह मंदिर को असमर्थ रही।आखिरकार औरंगज़ेब ने मंदिर को ध्वस्त करने के इस कार्य को रुकवा दिया।
तो मन में यह बात ज़रूर आती हैं की जिस मंदिर को एक साधारण मनुष्य तोड़ भी नहीं सकता तो एक मनुष्य के लिए इस मंदिर की रचना कैसे संभव हैं ...?
अतः इस मंदिर की रचना भी एक रहस्य ही बात हैं।
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